ये मन शिवाला है
- Chirag Jain
- Oct, 10, 2021
- Anju Jain
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तुम हो मेरे देवता ये मन शिवाला है नैन अंजुरी मैं भरी ये अश्रु माला है सिंधु- मंथन में मिला विष पी लिया तुमने एक नया इतिहास फिर से जी लिया तुमने अपने बलिदानों को स्वर्णाक्षर में ढाला है। शौर्य ने जब छू लिए दिनमान के कंधे जगमगाहट से हुए कुछ लोग जो अंधे तन के उजले हो भले ही मन तो काला है। कोई ये समझे नहीं अबला हूं बेचारी मैं हूं लक्ष्मी बाई जो हिम्मत नहीं हारी ये तिरंगा मुझको हिम्मत देने वाला है। तुम बजाओ शंख बैठो चांद के रथ में मैं रहूंगी अब सदा कर्तव्य के पथ में काम पूरे हो तुम्हारे व्रत ये पाला है अंजू जैन
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