Aash Karan Atal

Aash Karan Atal

जन्म : दो बार

पहला, 28 अक्टूबर 1945 (ईश्वर के रिकॉर्ड के अनुसार)

दूसरा, 02 जुलाई 1948 (स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार)

पुरस्कार एवम् सम्मान :

  1. Kaka Hathrasi हास्यरत्न पुरस्कार (Hindi Academy, Government of Delhi) 2008
  2. Acharya Ramchandra Shukla Puraskar (महाराष्ट्र राज्य Hindi साहित्य अकादमी) 2008-09
  3. काव्य शिखर सम्मान (Waah Waah Kya Baat Hai, SAB TV) 2013

प्रकाशन :

  1. हम क्या समझते नहीं हैं (काव्य संग्रह)
  2. फिल्म पुराण (व्यंग्य संग्रह)
  3. ढाई आखर काव्य के (काव्य संग्रह)
  4. साहब बाथरूम में हैं (व्यंग्य संग्रह)
  5. राजश्री मीडिया द्वारा निर्मित हास्य-व्यंग्य कविताओं की 19 वीडियो।

अन्य उपलब्धियाँ :

  1. ‘नमूना’ टेलीफिल्म का निर्देशन (Doordarshan पर 28 दिसम्बर 1985 को प्रसारित)
  2. ‘शर्मा गये सिनेमा’ का निर्देशन (Documentary Film Division 1986)
  3. ‘Vivah’ फिल्म का संवाद लेखन (2006)
  4. टेलीविज़न शो ‘Movers and Shekhars’ के लिये लेखन
  5. टेलीविज़न शो ‘नहले पे दहला’ के लिये लेखन
  6. सुप्रसिद्ध Comedy Show ‘इक चतुरनार’ का लेखन
  7. ‘Prem ratan Dhan Paayo’ फिल्म का संवाद लेखन
  8. विश्व भर में 4000 से अधिक Kavi Sammelan में काव्यपाठ
  9. All India Radio, Doordarshan, Zee TV, Sony TV, SAB TV आदि तमाम टेलीविज़न चैनल्स पर काव्यपाठ
  10. व्यंग्य कविता ‘क्या हमारे पूर्वज बंदर थे’ Chhattisgarh राज्य के ग्यारहवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित।

विदेश यात्राएँ

  1. United States of America
  2. Russia
  3. Hong Kong
  4. Thailand
  5. Belgium
  6. Germany
  7. Switzerland
  8. Netherland
  9. Nepal
  10. UAE
  11. Singapore
  12. Oman
  13. Canada
  14. England
  15. North Ireland
  16. Veles
  17. Myanmar
  18. China
  19. Japan

व्यवसाय: स्वतंत्र लेखन तथा फिल्म निर्देशन

वर्तमान निवास: Mumbai, Maharashtra, India

हास्य को तार्किक तथा अर्थपूर्ण बनाए रखना किसी भी Hasya Kavi की क्षमताओं का परिचायक है। श्री आशकरण अटल इस क्षमता में न केवल दक्ष हैं, अपितु अनुकरणीय भी हैं। उनकी कविताओं में Humor केवल एक घटना तक सीमित न रहकर एक कथा का रूप ले लेता है, जिससे श्रोताओं का आनन्द दोगुना हो जाता है। Situational Comedy लिखने में श्री आशकरण अटल अपने समकालीन कवियों से आगे दिखाई देते हैं। वे सामान्य जन की आदतों को तो अपने Hasya का विषय बनाते ही हैं, साथ ही कहीं-कहीं मनोविज्ञान से भी बहुत अच्छे से खेलते हैं। अपने मौलिक लेखन तथा मौलिक विचारों के साथ श्री आशकरण अटल अपने श्रोताओं को हँसाते हुए जीवन के गहरे दर्शन तक ले जाने का सामर्थ्य रखते हैं।

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