ढूंढ़ते रह जाओगे
- Chirag Jain
- Oct, 06, 2021
- Arun Gemini
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चीज़ों में कुछ चीज़ें
बातों में कुछ बातें वो होंगी
जिन्हें कभी देख नहीं पाओगे
इक्कीसवीं सदी में
ढूंढ़ते रह जाओगे
बच्चों में बचपन
जवानों में यौवन
शीशों में दरपन
जीवन में सावन
गाँव में अखाड़ा
शहर में सिंघाड़ा
टेबल की जगह पहाड़ा
और पायजामे में नाड़ा
ढूंढ़ते रह जाओगे
ऑंखों में पानी
दादी की कहानी
प्यार के दो पल
नल-नल में जल
संतों की बानी
कर्ण जैसा दानी
घर में मेहमान
मनुष्यता का सम्मान
पड़ोस की पहचान
रसिकों के कान
ब्रज का फाग
आग में आग
तराजू में बट्टा
और लड़कियों का दुपट्टा
ढूंढ़ते रह जाओगे
भरत-सा भाई
लक्ष्मण-सा अनुयाई
चूड़ी भरी कलाई
शादी में शहनाई
बुराई की बुराई
सच में सच्चाई
मंच पर कविताई
ग़रीब की खोली
आंगन में रंगोली
परोपकारी बंदे
और अरथी को कंधे
ढूंढ़ते रह जाओगे
अध्यापक, जो सचमुच पढ़ाए
अफ़सर, जो रिश्वत न खाए
बुध्दिजीवी, जो राह दिखाए
क़ानून, जो न्याय दिलाए
ऐसा बाप, जो समझाए
और ऐसा बेटा, जो समझ जाए
ढूंढ़ते रह जाओगे
गाता हुआ गाँव
बरगद की छाँव
किसानों का हल
मेहनत का फल
मेहमान की आस
छाछ का गिलास
चहकता हुआ पनघट
लम्बा-लम्बा घूंघट
लज्जा से थरथराते होंठ
और पहलवान का लंगोट
ढूंढ़ते रह जाओगे
कट्टरता का उपाय
सबकी एक राय
डंकल के पंजे में देश आज़ाद
मरने का मज़ा, जीने का स्वाद
नेताजी को चुनाव जीतने के बाद
दुर्घटनाओं से रहित साल
गूदड़ी में होने वाले लाल
ऑंखों में काजल
प्रेम में पागल
साँस लेने को ताज़ा हवा
और सरकारी अस्पताल में दवा
ढूंढ़ते रह जाओगे
आपस में प्यार
भरा-पूरा परिवार
नेता ईमानदार
दो रुपए उधार
कल में आज
संगीत में रियाज़
बातचीत में रिवाज़
दोस्ती में लिहाज
सड़क किनारे प्याऊ
सम्बोधन में चाचा-ताऊ
ढूंढ़ते रह जाओगे
नेहरू जैसी इज्ज़त
सुभाष जैसी हिम्मत
पटेल के इरादे
शास्त्री सीधे-सादे
पन्ना धाय का त्याग
राणा प्रताप की आग
अशोक का बैराग
तानसेन का राग
चाणक्य का नीति ज्ञान
विवेकानंद का स्वाभिमान
इंदिरा गांधी जैसी बोल्ड
और महात्मा गांधी जैसा गोल्ड
ढूंढ़ते रह जाओगे
© अरुण जैमिनी
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