हम आजु नहइबै ना

हम आजु नहइबै ना

अब तड़के का कसि कै नहाबु
हयँ भूलि गयीं भगतिनि चाची
लोटिया भर पानी डारयँ तौ
घर मा घूमयँ नाची-नाची

ई जाड़े मा हारी मनानेनि
पानी ते पंडित सिव किसोर
तन पर थ्वारै पानी चुपरयँ
मुलु मंत्र पढ़त हयँ जोर-जोर

बप्पा हम आजु नहइबै ना
लरिकउना मांगत माफी हय
दुइ कलसा पानी का करिबै
अब तो चुल्लू भर काफी हय

बहुरिया सास का भय कइकै
बसि सी-सी-सी सिसियाय दिहिस
आड़े मा धीती बदलि लिहिस
पानी धरती पै नाय दिहिस

-रमई काका

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