कौन-सा गीत सुनाऊँ

कौन-सा गीत सुनाऊँ

मैं तुम सबका दिल बहलाऊँ
या जी भरकर तुम्हें रुलाऊँ?
तुम्हीं बताओ यारो तुमको
आज कौन-सा गीत सुनाऊँ?

एक गीत ऐसा है जिसमें बस पढ़ने वाला रोता है
एक गीत ऐसा है जिसमें हर सुनने वाला रोता है
एक गीत ऐसा है मुझ पर जो मन को आह्लादित कर दे
एक गीत ऐसा भी है जो हर धड़कन को बाधित कर दे
शब्दों का भी मान रखोगे?
या केवल संगीत सुनाऊँ?
तुम्हीं बताओ यारो तुमको
आज कौन-सा गीत सुनाऊँ?

एक गीत में मैंने जग से जो जीता है वो लिक्खा है
एक गीत में अब तक मुझ पर जो बीता है वो लिक्खा है
एक गीत में मैंने केवल सारे जग की पीर लिखी है
एक गीत में राँझा बनकर मैंने अपनी हीर लिखी है
बोलो मेरी हार सुनोगे
या मैं अपनी जीत सुनाऊँ?
तुम्हीं बताओ यारो तुमको
आज कौन-सा गीत सुनाऊँ?

एक गीत में मैंने हँसते फूलों की गरिमा लिक्खी है
एक गीत में उस उपवन के पतझर की महिमा लिक्खी है
एक गीत में मैंने उस माली का मुस्काना लिक्खा है
एक गीत में मैंने कुछ कलियों का मुरझाना लिक्खा है
एक गीत में गुल से लिपटी तितली का क्रन्दन लिक्खा है
एक गीत में उस मंडराते भँवरे का गुंजन लिक्खा है
अब भँवरे का रुदन सुनोगे
या तितली की प्रीत सुनाऊँ?
तुम्हीं बताओ यारो तुमको
आज कौन सा गीत सुनाऊँ??

एक गीत में उस सैनिक के मात-पिता धाँसू लिक्खे हैं
एक गीत में मैनें सैनिक की माँ के आँसू लिक्खे हैं
एक गीत में मैनें बूढ़ी आँखों के सपने लिक्खे हैं
एक गीत में वृद्धाश्रम में रहते वो अपने लिक्खे हैं
एक गीत में मैनें मर्यादा खोते संबन्ध लिखे हैं
एक गीत में मैनें सब के सब झूठे अनुबंध लिखे हैं
एक गीत में डिग्री लेकर भीख माँगते हाथ लिखे हैं
एक गीत में भूखे मरनेवालों के जज़्बात लिखे हैं
एक गीत में किसी पेड़ पर लटका हुआ किसान लिखा
एक गीत ऐसा है जिसमें पूरा हिंदुस्तान लिखा है
आगे क्या होगा सुनना है
या फिर तुम्हें अतीत सुनाऊँ?
तुम्हीं बताओ यारो तुमको
आज कौन-सा गीत सुनाऊँ?

-गुनवीर ‘राणा’

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