ऐसे लोगों से हम नहीं निभते

ऐसे लोगों से हम नहीं निभते

जिनसे थोड़े भरम नहीं निभते
ऐसे लोगों से हम नहीं निभते

तुम मुहब्बत के ख़्वाब मत देखो
तुमसे अपने ही ग़म नहीं निभते

फिर भी अह्ल-ए-सितम* तो निभते हैं
बस ये अह्ल-ए-करम नहीं निभते

इतना इतना निभाते हो सब से
और थोड़े से हम नहीं निभते

रोटियाँ इतना काम लेती हैं
हम से दैर-ओ-हरम* नहीं निभते

इन पुराने शिकस्ता* क़दमों से
अब नए हमक़दम* नहीं निभते

-प्रबुद्ध सौरभ


* अह्ल-ए-सितम – सितम करने वाले
* दैर-ओ-हरम – मंदिर और मस्जिद
* शिकस्ता – हारे हुए
* हमक़दम – साथ चलने वाले

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