उसका एहसान

उसका एहसान

दर्द घटता भी नहीं है कि फ़ना हो जाए
और बढ़ता भी नहीं है कि दवा हो जाए

है मुझे इल्म कि ये ख़्वाब है, पर ख़्वाब में ही
मेरे अल्लाह उसे मुझसे वफ़ा हो जाए

उसका एहसान ही इतना है मेरी साँसों पर
ग़ैर-मुमकिन है कि साँसों से अदा हो जाए

वो किसी रोज़ करे तर्क-ए-तअल्लुक़* ख़ुद से
और उसी दिन से मेरा, सिर्फ़ मेरा हो जाए

लाख अच्छा हो तू, मेरा जो नहीं, ख़ाक़ अच्छा
इससे अच्छा है कि तू सच में बुरा हो जाए

वक़्त को कर दे क़लम, ख़ुद को सियाही कर दे
तेरा सोचा हुआ किस्मत का लिखा हो जाए

मुझको मालूम है वो शख़्स मेरा है लेकिन
है ये लाज़िम कि अब उसको भी पता हो जाए


-प्रबुद्ध सौरभ

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