मुझमें क्या आकर्षण
- Chirag Jain
- Nov, 10, 2021
- Mukut Bihari Saroj
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मुझमें क्या आकर्षण जो तुम अपनी गली छोड़कर आओ मेरे पास नहीं अपना घर, फिरता रहता हूँ आवारा और एक तुम हो कि गाँव में, सबसे ऊँचा महल तुम्हारा कैसे दूँ आदेश उमर को, उनसे ज़रा होड़ कर आओ लिखा नहीं पाया क़िस्मत में, तुम जैसी सम्पन्न जवानी तुमने तृप्ति ग़ुलाम बना ली, मेरी प्यास मांगती पानी तुम्हें ज़रूरत नहीं कि तुम जो तुम अपने नियम तोड़कर आओ भार मुझे ही अपना जीवन, तुम हो ठेकेदार चमन के तुमने साख भुना ली अपनी, जुड़े न मुझसे दाम क़फ़न के मन्दिर में अब ऐसा क्या है, जो तुम हाथ जोड़कर आओ -मुकुट बिहारी सरोज
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