ठहरे हुए पानी में

ठहरे हुए पानी में

ठहरे हुए पानी में कंकर न मार साँवरी
मन में हलचल-सी मच जायेगी बावरी

मेरे लिये है तू अनजानी
तेरे लिये हूँ मैं बेगाना
अनजाने ने बेगाने का
दर्द भला कैसे पहचाना
जो इस दुनिया ने ना जाना
ठहरे हुए पानी में कंकर ना मार साँवरी
मन में हलचल-सी मच जाएगी बावरी

सब फूलों के हैं दीवाने
काँटों से दिल कौन लगाये
भोली सजनी मैं हूँ काँटा
क्यों अपना आँचल उलझाये
रब तुझको काँटों से बचाये
ठहरे हुए पानी में कंकर ना मार साँवरी
मन में हलचल-सी मच जाएगी बावरी

तुम ही बताओ कैसे बसेगी
दिल के अरमानों की बस्ती
ख़्वाब अधूरे रह जायेंगे
मिट जायेगी इनकी हस्ती
चलती है क्या रेत पर कश्ती
ठहरे हुए पानी में कंकर ना मार साँवरी
मन में हलचल-सी मच जाएगी बावरी

-माया गोविन्द

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