मुझे मार दीजिये
- Chirag Jain
- Nov, 02, 2021
- Ahmad Faraz
- No Comments
काफ़िर हूँ सिरफिरा हूँ मुझे मार दीजिये मैं सोचने लगा हूँ मुझे मार दीजिये मा'लूम है मुझे कि बड़ा जुर्म है ये काम मैं ख़्वाब देखता हूँ मुझे मार दीजिये बे-दीन हूँ मगर हैं ज़माने में जितने दीन मैं सब को मानता हूँ मुझे मार दीजिये ये ज़ुल्म है कि ज़ुल्म को कहता हूँ साफ़ ज़ुल्म क्या ज़ुल्म कर रहा हूँ मुझे मार दीजिये ज़िंदा रहा तो करता रहूँगा हमेशा प्यार मैं साफ़ कह रहा हूँ मुझे मार दीजिये -अहमद फ़राज़
This post is visited : 912