मेरे मन शुभकामना करो!

मेरे मन शुभकामना करो!

ये अनुजों, बेटों की पीढ़ी
युकलिप्टस-सी दीखने लगी
दहके अंगारों पर नंगे
पैरों चलना सीखने लगी
इसके हाथों में सृजन उगे
पैरों में स्पुतनिक गति उमगे
मेरे मन शुभकामना करो!

धरती की गोदी में आए
चिकने पत्तों वाले बिरवे
कोंपल-कोंपल संकल्प लिखा
पहले ये धरती है फिर वे
इनमें माटी का प्यार फले
जिस ओर चलें, अणुशक्ति चले
मेरे मन शुभकामना करो!

ये वर्तमान की युवाज्योति
घर-घर दीपक-सी जला करे
जिसमें अब तक हों पाप धुले
उस गंगा को निर्मला करे
इस वासन्ती लौ की जय हो
युग का मस्तक ज्योतिर्मय हो
मेरे मन शुभकामना करो!

-भारत भूषण

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