रस्ता आसान बना कर जाऊँगा
- Chirag Jain
- Nov, 09, 2021
- Prabudha Saurabh
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चलने वालों का रस्ता आसान बना कर जाऊँगा मैं पानी को पत्थर के सब राज़ बता कर जाऊँगा मुझको पढ़ कर बाद मेरे इक और न मज़हब चल निकले जाते-जाते मैं अपना दीवान जला कर जाऊँगा मुझको एक हथौड़ा दे, तलवार न दे, तिरसूल न दे सारी उम्र लगे बेशक, दीवार गिरा कर जाऊँगा अब बुलवाया है उसने जब शे’र मेरे ख़बरों में हैं जाऊँगा, पर थोड़ा सा एहसान दिखा कर जाऊँगा साल तलक अब बाबूजी के पास तो आना मुश्किल है घर की छत-दीवारों को त्यौहार गिना कर जाऊँगा कुछ मेरे, कुछ तेरे हैं, कुछ हम दोनों के साझे हैं ये क़िस्से इक शायर को चुपचाप सुना कर जाऊँगा – प्रबुद्ध सौरभ
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