तेरी यादों का एक कोना
- Chirag Jain
- Nov, 09, 2021
- Prabudha Saurabh
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हम हैं, तन्हाई है, बिछौना है और फिर रात भर का रोना है लोग आते हैं, खेल जाते हैं दिल मेरा ग़ालिबन खिलौना है इक अदद आदमी नहीं मिलता कोई आधा है, कोई पौना है अपनी तैयारी पूरी रखिएगा होगा हर हादसा जो होना है ये समंदर जो सूख जाए तो इक जज़ीरा यहाँ डुबोना है खोल कर रखनी हैं अब आँखें भी और पलकों पे ग़म भी ढोना है मेरे कमरे में मस’अलों से अलग तेरी यादों का एक कोना है -प्रबुद्ध सौरभ
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