आँखों का उपवास

आँखों का उपवास




चाहे करवा चौथ हो, या हो तीज-त्यौहार
साजन की ख़ातिर सजे, सदा सुहागन नार

सात वचन से बंध गई, लेकर फेरे सात
सात जनम छूटे नहीं, अब सजना का साथ

भूखी प्यासी नायिका ताक रही आकाश
आज गगन के चंद्रमा, लेना मत अवकाश

पावन पल हों प्रीत के और पिया हों पास
पिया दरस कर तोड़िये, आँखों का उपवास

– कविता ‘किरण’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *