पानी बाबा आया रे

पानी बाबा आया रे

रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी
नाच रही है गुड़िया रानी
ककड़ी, भुट्टे और गुड़धानी
जाने क्या-क्या लाया रे
पानी बाबा आया रे

ख़त्म हुआ अवकाश समेटो फिर से अपना बस्ता
कल से तुमको नित्य पकड़ना है शाला का रस्ता
खेल-खिलौने, भँवरी अंटी
गिल्ली-डंडा छोड़ो बंटी
टनन-टनन बजवाकर घंटी
शाला को खुलवाया रे
पानी बाबा आया रे

मण्डप नहीं सजेगा लेकिन हर त्यौहार मनेगा
रस-पूड़ी तो नहीं मगर हलवा हर बार बनेगा
खट्टी-मीठी नानखटाई
घर-घर बनती देख मिठाई
बबली ने जब लार गिराई
बबलू यूँ चिल्लाया रे
पानी बाबा आया रे

गन्दे बच्चों की सोहबत ना हो जाए इस डर से
कभी अकेले नहीं निकलने देते मुझको घर से
लेकिन सोच रही है पम्मी
आज मुझे पापा और मम्मी
दोनों ने ले-लेकर चुम्मी
घर से क्यों टरकाया रे
पानी बाबा आया रे

मरकर भी इस दुनिया में अपना सम्मान जिलाओ
ख़ुद की हस्ती भले मिटे पर नित उद्यान खिलाओ
पतझर में मधुमास जगाओ
जन-जन का संत्रास मिटाओ
कण-कण की तुम प्यास बुझाओ
बरखा ने सिखलाया रे
पानी बाबा आया रे

-हेमन्त श्रीमाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *