चिराग़ जैन के प्रति
- Chirag Jain
- Nov, 10, 2021
- Aradhana Singh Anu
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चिराग़ जैन के प्रति जिसकी पीड़ा ही गीतों के उद्गम का संसाधन है उसके काव्य सृजन को मेरा कोटि-कोटि अभिवादन है शब्दों शब्दों पीर सँजोकर, जो कविता का सृजन करे अपनी आहों की धुन पर जो नित छन्दों का मनन करे घावों के रिसते शोणित से, तिलक करे जो गीतों का ऋषि है वो कवि काव्य वेदि पर जो पीड़ा को हवन करे जिनकी आँखों का हर आँसू, गीतों का आवाह्न है उसके काव्य सृजन को मेरा, कोटि-कोटि अभिवादन है घोर निराशा में जिसके स्वर, आशा- दीप जलाते हों पतझर को बासंती कर दें, मरुथल -फूल उगाते हों अनहद स्पंदित जो कर दे, मन शब्दों के जादू से- जिसके गीत मुखर होकर, जीवन जीना सिखलाते हों वो कवि जिसका सृजन जेष्ठ में, रिमझिम झरता सावन है उसके काव्य सृजन को मेरा कोटि-कोटि अभिवादन है जो अपने गीतों से शोषित-पीड़ित की आवाज़ बने तोड़ बेड़ियां जो कुरीति की, उन्नति का परवाज़ बने जो परपीड़ा में मरहम अरु, क्रंदन में मुस्कान लिखे- जिसकी कालजयी रचनाएं, नवयुग का आगाज़ बने जिसका जीवन राष्ट्र धर्म हित, मानवता प्रतिपादन है उसके काव्य सृजन को मेरा कोटि-कोटि अभिवादन है -आराधना सिंह 'अनु'
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