उग्रवाद

उग्रवाद

कितना भी हल्ला करे, उग्रवाद उद्दण्ड
खण्ड-खण्ड होगा नहीं, मेरा देश अखण्ड
मेरा देश अखण्ड, भारती भाई-भाई
हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख-पारसी या ईसाई
दो-दो आँखें मिलीं प्रकृति माता से सबको
तीन आँख वाला कोई दिखला दो हमको

अल्लाह-ईश्वर-गाॅड या ख़ुदा सभी हैं एक
अलग-अलग क्यों मानते, खोकर बुद्धि-विवेक
खोकर बुद्धि-विवेक, जीव जितने हैं जग में
लाल रंग का ख़ून मिले सबकी रग-रग में
फिर क्यों छूत-अछूत, नीच या ऊँचा मानें
हरा ख़ून मिल जाए किसी में तो हम जानें

लालच दुश्मन से मिले, उसको ठोकर मार
जन्म लिया जिस देश में, उसे दीजिये प्यार
उसे दीजिये प्यार, घृणा की खाई पाटो
जिस डाली पर बैठे हो, उसको मत काटो
बनकर के ग़द्दार, बीज हिंसा के बोते
ऐसे मानव पशुओं से भी बदतर होते

जिनके सिर पर है चढ़ा, हत्या, हिंसा, ख़ून
अक्ल ठीक उनकी करें, आतंकी क़ानून
आतंकी क़ानून, विदेशी शह पर भटकें
जीवन कटे जेल में या फाँसी पर लटकें
न्यायपालिका जब अपनी पाॅवर दिखलाये
उग्रवाद-आतंकवाद जड़ से मिट जाये

-काका हाथरसी

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