हिन्दोस्तां हमारा

हिन्दोस्तां हमारा

लो वक़्त आ गया है, फिर वक़्त आ गया है
आओ क़दम उठायें, मिलके क़दम बढ़ायें
सब एक होके गायें
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा
दीन-ओ-धरम हमारा, दिलबर वतन हमारा
दुनिया से ये निराला, ये हमको जां से प्यारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

नानक के इस चमन में नफ़रत की बोलियाँ क्यों
बापू के इस वतन में हिंसा की गोलियाँ क्यों
गौतम की सरज़मीं पर ये ख़ूं की होलियाँ क्यों
हंसों की इस ज़मीं पे गिद्धों की टोलियाँ क्यों
सम्भलों जला न डाले कोई ये घर हमारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

कश्मीर से कुमारी कन्या की प्रीत देखो
दक्षिण से लेके पूरब तक एक रीत देखो
ये देख जल रही है आँखें पड़ोसियों की
नीन्दें हराम इससे कितने विदेशियों की
इनसे हमें बचाना, हमको चमन हमारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

ये गोरखा के नारे, कश्मीर के शरारे
पंजाब के फिज़ाएँ, आसाम के इशारे
षड्यन्त्र है ये सारा, पूरा न हो सकेगा
उन चन्द आन्धियों से सूरज नहीं डरेगा
कुछ द्रोहियों के कारण टूटे न भाईचारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

कितने हों धर्म चाहे, कितनी ही बोलियाँ हों
कितनी ही जतियाँ हों, कितनी ही टोलियाँ हों
सब भारती के बेटे, इसपे जिये-मरेंगे
हम एक ही रहे हैं, हम एक ही रहेंगे
भाषा अजीज़ हमको, मज़हब भी अपना प्यारा
लेकिन है सबसे पहले हिन्दोस्तां हमारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

कितने ही राज बदले, कितने ही ताज बदले
कितने हुए हवन, तब दिन अपने आज बदले
आज़ादी हमने पाई कितने लहू के बदले
जन्नत भी हम न लेंगे अपने वतन बदले
चान्दी के बदले कैसे देदें ये देश प्यारा
हिन्दोस्तां हमारा, हिन्दोस्तां हमारा

हिंदू हो चाहे गुरखा, हो सिक्ख या मुसलमां
जो भी है देशद्रोही हरगिज़ नहीं वो इन्सां
ग़द्दार जो हैं उनकी कोई ज़ात नहीं होती
जो बिक चुके है उनकी औक़ात नहीं होती
दुहरायें आज फिर से इक़बाल का वो नारा
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलिस्तां हमारा

- प्रभा ठाकुर

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