मुझको माफ़ करना
- Chirag Jain
- Feb, 04, 2022
- e-patrika, Kunwar Bechain
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कल समय की व्यस्तताओं से निकालूंगा समय कुछ
फिर भरूंगा ख़ुद तुम्हारी मांग में सिन्दूर
मुझको माफ़ करना
आज तो इस वक़्त काफ़ी देर ऑफिस को हुई है
हाँ ज़रा सुनना वो मेरी पेंट है ना
वो फटी है, जो अकेले पाँयचों पर
तुम ज़रा उसमें लगाकर चन्द टाँके
शर्ट के टूटे बटन भी टाँक देना
इस तरह से, जो नयी हर कोई आँके
कल थमे वातावरण से, मैं निकालूंगा प्रलय कुछ
ले चलूंगा फिर तुम्हें इस भीड़ से भी दूर
मुझको माफ़ करना
आज तो इस वक़्त काफ़ी देर, ग्यारह पर सुई है
क्या कहा, है आज पप्पू का जन्मदिन
तुम सुनो, ये बात पप्पू से न कहना
और दिन भर तुम उसी के पास रहना
यदि करे तुमको परेशां, मारना मत
और हाँ, तुम भी कहीं मन हारना मत
कल पराजय के जलधि से, मैं निकालूंगा विजय कुछ
फिर मनायेंगे जन्मदिन की ख़ुशी भरपूर
मुझको माफ़ करना
आज तो ये जेब भी मेरी फटेपन ने छुई है
-कुँअर बेचैन
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