प्यार को धर्म बना
- Chirag Jain
- Nov, 09, 2021
- Bharat Bhushan
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जो तुझमें है, वो सबमें है जो सबमें है, वो तुझमें है इसलिए प्यार को धर्म बना इसलिए धर्म को प्यार बना कपड़ों में अन्तर होने से, कब अन्तर हुआ शरीरों में बस एक लकीर दीखती है, सब अलग-अलग तस्वीरों में उस एक अनन्त इकाई को, प्राणों का आविष्कार बना नीला-पीला-काला-गोरा, सब राजनीति सूरज की है पूरा अम्बर, पूरी धरती, सारी मनु के वंशज की है मत बाँट मनुष्यों के तन-मन, जैसे भी हो परिवार बना ‘सब ठाठ पड़ा रह जाएगा’- ऐसा भी एक तराना है ये कैंची है, ये सुई, सोच, बेटे को क्या दे जाना है देवता बना जन-जन को फिर मन्दिर-मन्दिर हरिद्वार बना -भारत भूषण
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