नैनन में हरि
- Chirag Jain
- Nov, 10, 2021
- Shishupal Singh Nirdhan
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हँसे हेरत, टेरत काहे उन्हें, किस गंध पे छंद लुटावत हो अँखियाँ न रिझावत हैं छवि जो, अँखियान में क्यों न बसावत हो मन काहे मरोरत हो हरि सों, हिय कौन से रंग रंगावत हो जब नैनन में हरि नाचत हैं, तब काहे को नैन नचावत हो -शिशुपाल सिंह निर्धन
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