बेसहारों की बातें

बेसहारों की बातें

सभी को मिला जिन से अवलम्ब अपना,
करे कौन उन बेसहारों की बातें ?

निराश्रित को आश्रय दिलाना ही होगा,
मरूस्थल को उपवन बनाना ही होगा;
गगन-गामियों से निवेदन सही है-
‘धरा का तुम्हें ऋण चुकाना ही होगा‘
न वसुधा से जब तक सुधा का हो परिचय,
वृथा चाँद-सूरज-सितारों की बातें !

यहाँ से वहाँ तक सृजन हो रहा है,
तिमिर-मुक्त वातावरण हो रहा है;
भगीरथ-प्रयत्नों की जन-जाह्नवी का,
बड़े वेग से अवतरण हो रहा है;
हिमालय के शिखरों से क्या पूछते हो,
तलहटी में डूबे कगारों की बातें?

अलस चेतना को जगा कर तो देखो,
प्रगति का निमंत्रण मँगा कर तो देखो;
अभावों के सागर में मोती मिलेंगे,
अतल-जल तें गोते लगा कर तो देखो;
न मानो तो लहरों से ले लो गवाही,
भँवर में पड़ी हैं किनारों की बातें !

-बलवीर सिंह रंग

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