हम अभी संघर्ष-रत हैं!
- Chirag Jain
- Nov, 17, 2021
- Balveer Singh Rang
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वैजयन्ती तुम मनाओ हम अभी संघर्ष-रत हैं! मुक्ति की भागीरथी का हो चुका है पुण्य उद्गम, शेष है शिव की जटाओं से उतरने का उपक्रम; शास्त्र-सम्मत श्रम कथाओ! हम अभी आदर्श-रत हैं! वैजयन्ती तुम मनाओ हम अभी संघर्ष-रत हैं! लौह-निर्मित लेखनी आलेख लिखती जा रही है, स्वर्ण-मण्डित दुर्ग की दीवार झुकती जा रही है; जीर्ण सामन्ती प्रथाओ! हम अभी उत्कर्ष-रत हैं! वैजयन्ती तुम मनाओ हम अभी संघर्ष-रत हैं! दैन्य-दानव को दुबारा लौटकर आना नहीं है; सृष्टि को संहार के सीमान्त तक जाना नहीं है; सृजन की संभावनाओ! हम विचार-विमर्श-रत हैं! वैजयन्ती तुम मनाओ हम अभी संघर्ष-रत हैं! -बलवीर सिंह रंग
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