बलम म्हारो खाबा को शौकीन

बलम म्हारो खाबा को शौकीन

बलम म्हारो खाबा को शौकीन
मिनक लुगाया सु मतलब नाही, जीमण में तल्लीन!

गरम पराठा माखण वाला, सुबह-सुबह ही भावे
और लंच में राब सोगरो, घी रो भोग लगावे
दाल रो तीखो चड़को चावे, और साथे नमकीन!
बलम म्हारो खाबा को शौकीन

भीड़-भाड़ में घुस जा बालम, फाड़ धोतियो आवे
भर-भर प्लेटां जीम-जाम ने, जेबां में भर लावे
जीमण बिन तड़पे यूँ साजन, ज्यूँ जल रे बिन मीन!
बलम म्हारो खाबा को शौकीन

पेट भटूरो, नाम पकोड़ो, गालड़ा दही-बड़ा है
हाथ चीलड़ा, टांग फाफड़ा, खावे पड़ा-पड़ा है
चमचम जेड़ी गोळ आँख्या, ने बालड़ा चाऊमीन
बलम म्हारो खाबा को शौकीन

रात रा साजन पलंग पौड़िया, सपना सहज सुहाया
समझ इमरती कान लुगाई रा, कच-कच घणा चबाया
वा समझी के प्रीत निभाई, डाचो भर ग्यो हाय कमीण!
बलम म्हारो खाबा को शौकीन

माल्या खाग्यो बैंक रो धन, ने खाके होयो फरार
रे नेता सारा देश खा गिया, ली नहीं एक डकार
रे मैं भोळो बस भोजन मांगूँ, ओ हक़ मासू मत छीन!
बलम म्हारो खाबा को शौकीन

-आयुषि राखेचा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *