अलसाया गीत

अलसाया गीत

पावस-से अधरों का अलसाया गीत
तुम ही हो, तुम ही हो मीत


तुम ही हो जीवन के गीतों का आईना
सावन और बरखा की प्रीतों का आईना
लहरों पर केवट का थिरका संगीत
तुम ही हो, तुम ही हो मीत !


करवट ले, भोर हुई आँखों में ज़िंदगी
अनदीखी डोर हुई पाँखों में ज़िंदगी
सीमा को चूम रही मर्यादित रीत
तुम ही हो, तुम ही हो मीत !


जाने कब पंछी की दो आँखें चार हुईं
जान पड़ा तब, जब तुम कोमल अधिकार हुईं
हार का सिंगार बनी अनब्याही जीत
तुम ही हो, तुम ही हो मीत!


- अरुण जैमिनी

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