बेसहारों की बातें
- Chirag Jain
- Nov, 10, 2021
- Balveer Singh Rang
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सभी को मिला जिन से अवलम्ब अपना, करे कौन उन बेसहारों की बातें ? निराश्रित को आश्रय दिलाना ही होगा, मरूस्थल को उपवन बनाना ही होगा; गगन-गामियों से निवेदन सही है- ‘धरा का तुम्हें ऋण चुकाना ही होगा‘ न वसुधा से जब तक सुधा का हो परिचय, वृथा चाँद-सूरज-सितारों की बातें ! यहाँ से वहाँ तक सृजन हो रहा है, तिमिर-मुक्त वातावरण हो रहा है; भगीरथ-प्रयत्नों की जन-जाह्नवी का, बड़े वेग से अवतरण हो रहा है; हिमालय के शिखरों से क्या पूछते हो, तलहटी में डूबे कगारों की बातें? अलस चेतना को जगा कर तो देखो, प्रगति का निमंत्रण मँगा कर तो देखो; अभावों के सागर में मोती मिलेंगे, अतल-जल तें गोते लगा कर तो देखो; न मानो तो लहरों से ले लो गवाही, भँवर में पड़ी हैं किनारों की बातें ! -बलवीर सिंह रंग
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