हम देखेंगे
- Chirag Jain
- Nov, 02, 2021
- Faiz Ahmad Faiz
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हम देखेंगे लाज़िम है कि हम भी देखेंगे वो दिन कि जिसका वादा है जो लोह-ए-अज़ल में लिखा है जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां रुई की तरह उड़ जाएँगे हम महकूमों के पाँव तले ये धरती धड़-धड़ धड़केगी और अहल-ए-हकम के सर ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से सब बुत उठवाए जाएँगे हम अहल-ए-सफ़ा, मरदूद-ए-हरम मसनद पे बिठाए जाएँगे सब ताज उछाले जाएँगे सब तख़्त गिराए जाएँगे बस नाम रहेगा अल्लाह का जो ग़ायब भी है हाज़िर भी जो मंज़र भी है नाज़िर भी उट्ठेगा अन-अल-हक़ का नारा जो मैं भी हूँ और तुम भी हो और राज़ करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा जो मैं भी हूँ और तुम भी हो -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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