तुम करना नित्य प्रयास

तुम करना नित्य प्रयास

सुंदर वन की आशा छोडो़ 
झरने की कलकल को मोडो़
मोहक फूलों की खुशबू से
दूर कंटकों में पथ फोडो़
पथरीली राहों को चुनकर
लिख देना इतिहास
दुर्गम पथ के अनुगामी
तुम करना नित्य प्रयास

सूरज खड़ी दुपहरी वाला 
या बादल हो बिल्कुल काला
झंझावातों का हो प्रकोप
या ऊँची हो पर्वतमाला
कठिन राह चलकर ही आगे
जीतोगे विश्वास
दुर्गम पथ के अनुगामी
तुम करना नित्य प्रयास

पीड़ा से ही सुख उपजेगा 
मधुर गान हर ओर बजेगा
मन की कठिन तपस्या से ही
मनवांछित परिणाम सजेगा
एक, जन्म लें कारागृह में
एक चले वनवास
दुर्गम पथ के अनुगामी
तुम करना नित्य प्रयास

© आशुतोष 'आनंद' दुबे 

3 Responses so far.

  1. बहुत सुंदर , भावनाओं और प्रेरणा से जगमगाती हुई रचना।
    कवि को बहुत साधुवाद

  2. एक जन्म ले कारागृह में एक चले वनवास……
    बहुत सुंदर 💕 भाषा और भावों का सुन्दर समन्वय।
    बहुत सुंदर रचना।

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