सहकार

सहकार

कोई नहीं गिनेगा कितने पेड़ उगाए नोटों के
गिनती होगी केवल कितने घाव भरे हैं चोटों के
बडे़-बड़ों की अगुआई में खडे़-खडे़ जीवन बीता
कितने क़दम चले जीवन में हाथ पकड़कर छोटों के

-महेश गर्ग बेधड़क

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