दिन बसंती
- Chirag Jain
- Oct, 21, 2021
- Anju Jain
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दिन बसंती लग रहे हैं प्रीत के इस गांव में पंख जैसे लग गए हैं मेरे मन के पांव में नयन को सपनों का बौराया सा आमंत्रण मिला प्रीत की पगडंडियों पर झूमता हर क्षण मिला फूल फिर खिलने लगे हैं हर गली हर ठांव में। सज गई खुशियों की रंगोली ह्रदय के द्वार पर कामनाएं आ गई बचपन की देहरी पार कर फिर कुहुक -सी लग रही कागा की तीखी कांव में। टेढ़े-मेढे रास्ते भी अब सरल होने लगे प्रश्न जितने थे वो सारे आज हल होने लगे जीत सी मिलने लगी है, हार के भी दांव में। -अंजू जैन
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