यह इतना आसान नहीं है
- Chirag Jain
- Nov, 02, 2021
- Rama Singh
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तुम्हें भूलना चाहूँ लेकिन यह इतना आसान नहीं है आँखों में हैं सिन्दूरी दिन, साथ रहे जब पल-पल, छिन-छिन शबनम को ज्यों फूल संभाले, तुमको रक्खा पलकों पर गिन प्यार के बिखरे मोती कितने तुमको यह अनुमान नहीं है तेरा मीठा-मीठा सा स्वर, गूंज रहा है भीतर-भीतर जैसे अनहद नाद जगे है, सात सुरों की लेकर गागर छन्द रचे जो प्रीति-गीत ने उनका तुमको भान नहीं है यादों की होतीं बरसातें, मन के कमरे धुल-धुल जाते हो दरवाज़े की आहट या, पर्दे भी हिलकर चैंकाते मेरे सूनेपन का शायद अब कोई अवसान नहीं है -डाॅ. रमा सिंह
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