यह इतना आसान नहीं है

यह इतना आसान नहीं है

तुम्हें भूलना चाहूँ लेकिन
यह इतना आसान नहीं है

आँखों में हैं सिन्दूरी दिन, साथ रहे जब पल-पल, छिन-छिन
शबनम को ज्यों फूल संभाले, तुमको रक्खा पलकों पर गिन
प्यार के बिखरे मोती कितने
तुमको यह अनुमान नहीं है

तेरा मीठा-मीठा सा स्वर, गूंज रहा है भीतर-भीतर
जैसे अनहद नाद जगे है, सात सुरों की लेकर गागर
छन्द रचे जो प्रीति-गीत ने
उनका तुमको भान नहीं है

यादों की होतीं बरसातें, मन के कमरे धुल-धुल जाते
हो दरवाज़े की आहट या, पर्दे भी हिलकर चैंकाते
मेरे सूनेपन का शायद
अब कोई अवसान नहीं है

-डाॅ. रमा सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *