जो नदिया के पाट चले
- Chirag Jain
- Nov, 10, 2021
- Mahesh Garg Bedhadak
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वो क्या समझें धार नदी की जो नदिया के पाट चले वो तैराक बने बैठे हैं जो बस घाटों-घाट चले कहते हैं सागर से मिलकर नदी स्वयं खो जाती है क्या जानें, मिलते ही नदिया ख़ुद सागर हो जाती है -महेश गर्ग बेधड़क
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