कवि और जमराज
- Chirag Jain
- Nov, 02, 2021
- Vimalesh Rajasthani
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एक कवि घणूं बीमार पड्यो तीन दिन तांणी बेहोशी में मौत से लड्यो चौथे ही दिन बीनैं दीख्यो एक जमदूत बोल्यो - "ओ साहित्य के सपूत! तन्ने जमराज बुला रया है।" सुणतां ही कवि के चेहरै पर चिमक आयी उछल कै छोड़ी चारपायी बोल्यो - "अच्छया, जमराज मन्नै बुला रिया है प्रोग्राम कठै करा रया है? और कुण-कुण कवि आ रया है? मेरो पारिश्रमिक के बतायौ है? और एडवांस कितणू भिजवायौ है?' - विमलेश राजस्थानी
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