कवि और जमराज

कवि और जमराज

एक कवि घणूं बीमार पड्यो
तीन दिन तांणी बेहोशी में मौत से लड्यो
चौथे ही दिन बीनैं दीख्यो एक जमदूत
बोल्यो - "ओ साहित्य के सपूत!
तन्ने जमराज बुला रया है।"

सुणतां ही
कवि के चेहरै पर चिमक आयी
उछल कै छोड़ी चारपायी
बोल्यो - "अच्छया,
जमराज मन्नै बुला रिया है
प्रोग्राम कठै करा रया है?
और कुण-कुण कवि आ रया है?
मेरो पारिश्रमिक के बतायौ है?
और एडवांस कितणू भिजवायौ है?'

- विमलेश राजस्थानी

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