ओ विप्लव के थके साथियो!
- Chirag Jain
- Nov, 17, 2021
- Balveer Singh Rang
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ओ विप्लव के थके साथियो! विजय मिली, विश्राम न समझो उदय प्रभात हुआ फिर भी तो, छाई चारों ओर उदासी; ऊपर मेघ भरे बैठे हैं, किन्तु धरा प्यासी-की-प्यासी; आहत-अन्तर के पल भर की राहत को, आराम न समझो! पद-लोलुपता और त्याग का, एकाकार नहीं होने का; दो नावों पर पग रखने से, सागर पार नहीं हाने का; जब तक सुख के स्वप्न अधूरे, तब तक पूरा काम न समझो! तुमने वज्र-प्रहार किया था, पराधीनता की छाती पर; देखो, आँच न आने पाए, जन-जन की सौंपी थाती पर; युगारम्भ के प्रथम-चरण की गतिविधि को, परिणाम न समझो! -बलवीर सिंह रंग
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